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श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन अब तक इन्होंने नीचे लिखे ग्रंथोंका भाषान्तर या सम्पादन किया है।
१ भगवतीसूत्र २ भाग (गुजराती अनुवाद सहित ) २ यशोविजय जैनग्रंथमालाके करीब पैंतीस ग्रंथ (इनमें प्राकृत
और संस्कृत दोनों तरहके ग्रंथ हैं । ) ३ सम्मति तर्क (पं० सुखलालजीने और इन्होंने मिलकर ) ४ पाइयलच्छि नाममाला । ५ समराइच्चकहा ( ३ भाग ) ६ प्रद्युम्नचरित्र । ७ जैनदर्शन ( पदर्शनसमुच्चयसे गुजराती अनुवाद ) ८ प्राकृत मार्गोपदेशिका । ९ प्राकृत व्याकरण।
करीब एक वरसतक इन्होंने 'जैनशासन ' पत्रका संपादन भी किया था। ___ ये निर्भीक और स्वाधीन विचारके व्यक्ति हैं । बहुत बड़े पंडित और विचारशील आदमी हैं । इनका मिजाज सीधा सादा मगर स्वात्माभिमानी है।
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