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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध)
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वैठोंने यह ठीक धंधा निकाला है।" फिर वह मोहनचंद्रनी साहबसे बोले:—" तुम्हें भी इसमेंसे कुछ कमीशन मिलता होगा। बगैर मतलब कोई क्यों भटके ? " मोहनचंद्रनी साहबने शांतिसे जवाब दियाः-“ धर्मके कामसे जो फल मिलेगा उसमें मेरा साझा है ही। और आपको भी उसमें साझीदार बनानेके लिए आया हूँ।" मगर सेठकी बात मेरे हृदयमें तीरकी तरह चूम गई और मैंने उसी वक्तसे यह कार्य छोड दिया । जैनसंसार भी उसी समयसे बंद हो गया । ____ आप बाल-विवाहके विरोधी हैं, इसलिए जिस समय लड़कीको दस बरसकी उम्रसे अधिक अविवाहित घरमें रखना पाप समझा जाता था, उस समय आपने लोगोंके तानों और तिरम्कारोंकी परवाह न कर अपनी कन्याको बड़ी होने दी और जब वह तेरह बरसकी हुई तब उसकी शादी की ।
मारवाडी समाजम शादियोंके मौके पर गालियाँ-सीठने शानका बहुत रिवाज है । मगर आप इसके कट्टर विरोधी हैं। इसलिए जब आपकी पुत्रीका ब्याह हुआ तब आपने बड़ी दृढ़ता दिखाई और उस मौके पर सीठने बिलकुल नही गाने दिये ।
दिगरसमें दिगंबर आम्नायके दो जिनालय हैं; परंतु श्वेतांबर आम्नायका एक भी नहीं है। यह बात इनको बहुत अखरती थी कि, हमारी पद्धतिके अनुसार पूजापाठ करनेका कोई भी साधन
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