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श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन
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दुकान खोली। दुकानको अभी थोड़ा ही समय हुआ था कि श्रीयुत पाबूदानजीका देहांत हो गया ।
श्रीयुत पाबूदानजीके तीन लड़के हैं - १ जोगराजजी २ लूणकरणजी और ३ भोमराजजी | जब श्रीयुत पाबूदानजीका देहान्त हुआ तब इनकी उम्र छोटी थी । अपने मामाकी योग्य देखरेखमें इन्होंने कामकाज सीखा और दूकानमें अपने मामाको बहुत अच्छी सहायता दे रहे हैं। तीनों भाई बड़े अच्छे मिलनसार, सुशील और धर्मात्मा मनुष्य हैं ।
पदमचंद्रजी कोचर
श्रीयुत पाबूदानजीके देहांत के बाद श्रीयुत पदमचंद्रजी न इतने परिश्रम से दुकानका कामकाज किया कि, अहमदाबाद में यह पेढ़ी एक बहुत प्रतिष्ठित हो गई । पद्मचंद्रजी की सबसे बडी नीति रोजगार करनेमें ईमान्दारी है । आज तक जिसके साथ इनका काम पड़ा वह इनकी ईमान्दारीका कायल हो गया । विदेशोंम इतनी साख हो गई कि, इस पेढ़ीकी किसी भी बात में कभी कोई शंका नहीं करता ।
इनका मुख्य काम कपडेकी आदत है । इसलिए मिलोंके साथ उनका काम पड़ता है। मिलोंवाले श्रीयुत पद्मचंद्रजीकी प्रामाणिकतसे प्रसन्न हैं और यदि कभी कोई वांधाकी (विवादकी) बात आ पड़ती है तो मिलोंवाले श्रीयुत पद्मचंद्रजीकी बात स्वीकार करते हैं
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ये बड़े धर्मात्मा पुरुष हैं । यदि कोई साधर्मी भाई देशसे
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