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________________ जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध) wwwwwwwwwwwwwwwwwwwww इनके कोई संतान नहीं है । सं० १९६४ में इनका देहांत हो गया था। श्रीयुत पूननचंद्रजीके पुत्र गुलाबचंदको गंगास्वरूप केसरबाईने गोद रखा है । सं० १९८९ में गुलाबचंदका व्याह लोहावट निवासी श्रीयुत आसकरणी चोपड़ाकी पुत्री अचरजबाईके साथ हुआ। इसमौके पर करीब दस हजार रुपये खर्च हुए। सं० १९५३ से सं. १९५७ तक बीचम सेठ चाँदनमखर्जी और सेठानीजी श्रीमती मर्धाबाईने सारे हिन्दुस्थानक जैनतीर्थोकी यात्रा कर ली थी। और उन अवसरोंपर जी खोलकर दानपुण्य किया था। सेठ चाँदनमलजीने अपने पुत्र पुत्रियोंकी शादियोंमें करीब दस हजार खर्च किये थे । जायदाद बनाने में करीब पचास हजार और धर्मकार्योंमें करीब पन्द्रह हजार खर्चा किया था। ये सरल स्वभावके, धर्मनिष्ठ और उद्योगी पुरुष थे । इनका देहांत सं० १९५७ में हुआ था । सेठानी श्रीमती मघीबाईर्जाने सं० १९७० के श्रावण महीनेम अपनी चारों बहुओंके साथ अठाईकी तपस्या की थी। उस समय दान-पुण्य और म्वामीबत्सलमें अच्छो रकम खर्च की थी। सं० १९७२ में सेठ मूलचंद्र की पत्नी गुरणीर्जा पुण्यश्रीजीके दर्शनको गई थीं। वहाँसे वे अपने गुरुदेव दादाजीकी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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