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श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन
कुँवरजीभाई सं० १९५३ में बंबई आये और शामजी खीमजीकी कंपनी में नौकर होकर खामगाँवमें गये। दो बरस तक नौकरी की फिर सं० १९५५ मे कुँवरजी आनंदजीके नामसे खजूरका रोजगार शुरू किया। चार बरसके बाद सं० १९९९ में शिवजी कुंवरजीके नामसे खजूरका कमीशनसे बंधा शुरू किया । इसमें अच्छी कमाई की। सं० १९६२ में देवजी कुँवरजीके नाम से धंधा शुरू किया और इसमें इन्होंने अच्छी रकम पैदा की।
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सं० १९९७ के महा वदि ७ की कच्छ बांकुडेके पटेल सा सोनपाल उड़ाकी लड़की कुँवरबाई उर्फ ममृबाईसे व्याह किया ।
घाटकूपर में पचास साठ हजार रुपये खर्चकर बँगला बँधाया । अपने गाँव भी अच्छी स्टेट बनवाई है ।
सं० १९८५ में कच्छ के मंजिल गाँवके बाहर तलाव के पास एक भव्य धर्मशाला बनवाई है । उसमें करीब चालीस हजार रुपये खर्च हुए ।
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कच्छ में जब जब दुष्काल पड़े तब तब अपने गाँवमें अनाज बटवाया है। इसमें करीब बीस-पचीस हजार रुपये खर्च किये हैं ।
गायों को कच्छ में हरसाल पाचसौ छः सौका घास डलवाया करते हैं ।
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