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________________ ३६ जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध ) स्नेह था | अनेक विद्वानोंको समय समयपर वे सहायता दिया करते थे । ' मांडारकर रिसर्च इन्स्टिटयूट पूना को उन्होंने २५०००) रुपये की रकम दानमें दी थी । " वे ' श्वेतांबर जैन कॉन्फरेंस' के मंत्री रहे, फ्रीमेशन की ओरियंटल बके, और रोयल एशियाटिक सोसायटि वगैरा के वे मेम्बर थे । क्रिकेटके शौकीन होनेसे वे हिन्दु जीमखानेके पेटून बने थे । कच्छी दसा ओसवाल जैन बोर्डिगके वे ट्रस्टी थे । ता. १६-७-१९२० के दिन पेरिसमें इनका देहांत हो गया । सेठ हेमराज खीयसिंह मं० १९१७ में इनका जन्म हुआ था। इनका धंधा हीरजी खेतसिंहकी कंपनी में ही था । इन्होंने अपनी प्राइवेट संपत्तिमे से नीचे लिखा दान दिया है। २५०००) निराश्रित फंडमें । ५०००) पालीताना जलप्रलय के समय । १०००००) सं० १९८० में कच्छके दुष्काळके वक्त गरीबों और मूक पशुओं की सहायता में । इसके अलावा खेत सिंह सेठने जो दान किया है उसमें १९८० में ६३ बरसकी आयुमें इनका भाग था ही । सं० उनका देहांत हो गया । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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