SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 650
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन १७५०००) पालीतानाका संघ निकाला उसमें । ८००००) उजमणा किया उनमें । ८२०००) अपने गाँव सुथरीमें जातीय मेला किया उसमें । ८००००) जाति में सात बासनों - बर्तनों की लाणी की (माजीबांटी ) उसमें । ३१ - ५००००) सर वसनजी त्रिकमजी और खेतसिंह - खियसिंह जैन बोर्डिंग पालीतानमें । ३००००) दूसरे बोर्डिगों, बालाश्रमों और अनाथाश्रमों में २५०००) पाठशालाओं, कन्याशालाओं और श्राविकशालाओंको । २४००० ) लींबड़ी के दो बारकी उपाधान क्रियाओंमें । १५०००) पालीताने में जलप्रलय हुआ उस समय छप्पर बँधवाने | ७६०००) श्रीकच्छी दशाओसवाल जैन जातिका कर्ज चुकाने में। १०११०१) निराश्रितोंको आश्रय देनेके कामोंमें । २५०००) जातिकी तरफसे इन्हें मानपत्र दिया गया था तब जुदाजुदा संस्थाओंमें | २७०००) लींबड़ी ( काठियावाड़) में बोर्डिंग के लिए मकान बँधवाया उसमें । २५०००) लींबड़ीमें एक जिनमंदिर बँधवाया उसमें । १००० ) प्रोफेसर बोसकी साइंस इन्स्टिट्यूट कलकत्ताको । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy