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________________ श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन २९ उनका पुत्र हीराचंद मौजूद है। सेठ सोपालभाईके पुत्र वसनजी तथा शिवजी हैं । बसनजीके दामजी और नरसी तथा शिवजीके डुंगरसी और वर्द्धमान हैं । दामजीके भी शामजी नामका एक पुत्र है | हेमराज सेठके शामजीभाई नामका पुत्र है । स्वीयसिंह कुटुंबका संक्षिप्त परिचय करानेके बाद अब हम खेतसिंहभाईका हाल लिखते हैं । खेतसिंह सेठका जन्म संवत १९११ में हुआ था । ये अपनी भुआ ( कोई ) के साथ सबसे पहले बंबई आये थे । और शाक गलीवाली पुरुषोत्तम महताकी शाला में व्यवहार लायक शिक्षण लेकर माघवजी घरमसीकी कंपनी में रूई विभाग में ( खाते में ) नौकर हुए । कुछ बरसोंके बाद नौकरी छोड़कर दो दूसरे मागीदारोंके साथ इन्होंने खेतसी मूलजीके नामसे एक कंपनी शुरू की। कुछ बरसोंके बाद इस कंपनीको नुकसान हुआ। दो हिस्सेदार देशमें चले गये। कंपनी बंद हो गई। मगर इन्होंने अपने हिस्सेका नुकसान देकर लेनदारोंको संतुष्ट किया । और अपने भाई सोमपाल खेतसिंह के नामसे रोजगार शुरू किया । रोजगार अच्छा चल निकला । इनके दो लन हुए थे। पहला लग्न सं० १९३२ में हुआ था। इनके कोई सन्तान नहीं हुई । इनका देहांत होने पर सं० १९३७ में इनके दुसरे लग्न श्रीमती वीरबाई के साथ हुए । इनकी कोख से एक पुत्र जन्मा । उसका नाम हीरजीभाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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