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________________ __ जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध ) १-श्रवण सेठ और उनका कुटुंब. इनका जन्म सं० १८९१ में हुआ था। ये सं० १९०५ में बंबई आये और मोदीकी दुकान शुरू की । अच्छी कमाई करने पर इन्होंने सराफीका धंधा भी शुरू किया था । सं० १९४५ में ये मांडवीसे 'बिजली' नामकी स्टीमरसे बंबई आते थे। रस्तेमें स्टीमर डूब गई। ये भी उसीमें डूब गये। इनका ब्याह श्रीमती देवईबाई के साथ हुआ था। इनके चार पुत्र थे-लालनी, चाँपती, वीरजी और देवनी । इनमें से वीरजीमाईके सिवा सबका देहांत हो गया है। लालनीके गंगाबाई नामकी एक कन्या है । चाँपसीके पूजा और सामनी नामके दो लड़के हैं। वीरजीके गोसर नामका एक पुत्र और पानवाई, रयणीबाई, केसरबाई और साकरबाई नामकी चार कन्याएँ हैं । देवजीके कोई नहीं है। श्रवण सेठके परनेपर इनके पुत्र तेजुकायाकी कंपनी में शामिल हुए। २-सोजपाल सेठ और उनका कुटुंब. इनका जन्म सन् १८९८ में लायना ( कच्छ ) में हुआ था । ये सं० १९१४ में बंबई में आये थे। उस समय यद्यपि इनके बड़े भाई श्रवण सेठ मोदीकी दुकान करते थे; परन्तु ये अपने ही बल पर खड़े रहना चाहते थे इसलिए इन्होंने मी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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