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जैन-रत्न wwmmmmmmmmmmmmmmm वह उत्तर दे कि-" मैं चावल पकाता हूँ।" यह उत्तर वर्तमान नैगमनय' है। क्योंकि चावल पकानेकी क्रिया यद्यपि वर्तमानमें प्रारंम नहीं हुई है तो भी वह वर्तमानरूपमें बताई गई है।
संग्रह सामान्यतया वस्तुओंका समुच्चय करके कथन करना ' संग्रह ' नय है । जैसे-" सारे शरीरोंका आत्मा एक है।" इस कथनसे वस्तुत: सब शरीरोंमें एक आत्मा सिद्ध नहीं होता है। प्रत्येक शरीरमें आत्मा भिन्न भिन्न ही है; तथापि सब आत्माओंमें रही हुई समान जातिकी अपेक्षासे कहा जाता है कि-"सब शरीरोंमें आत्मा एक है।"
व्यवहार-यह नय वस्तुओंमें रही हुई समानताकी उपेक्षा करके, विशेषताकी ओर लक्ष खींचता है । इस नयकी प्रवृत्ति लोकव्यवहारकी तरफ है । पाँच वर्णवाले भवरेको 'काला मँवर । बताना इस नयकी पद्धति है । ' रस्ता आता है । ' कुंडा झरता है ' इन सब उपचारोंका इस नयमें समावेश हो जाता है। ___ ऋजुसूत्र-वस्तुमें होते हुए नवीन नवीन रूपान्तरोंकी तरफ यह नय लक्ष्य आकर्षित करता है । स्वर्णकी, मुकुट, कुंडल आदि, जो पर्यायें हैं उन पर्यायोंको यह नय देखता है । पर्यायोंके अलावा स्थायी द्रव्यकी ओर यह नय हमात नहीं करता है। इसीलिए पर्यायें विनश्वर होनेसे सदास्थायी द्रव्य इस नयकी दृष्टिमें कोई चीज नहीं है।
१ इसके सिवा अन्य प्रकारसे बहुतसे भेद-प्रभेदोंकी व्याख्या इस नक्में आती है।
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