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जैन-रत्न
केवलज्ञानका उच्छेद
इसके बाद श्रीसुधर्मास्वामी गणधरने पूछा:-" भगवन् ! केवलज्ञान कब उच्छेद होगा और अंतिम केवली कौन होगा?"
प्रभुने उत्तर दिया:-" मेरे मोक्ष जानेके कुछ काल बाद तुम्हारे, जंबू नामक, शिष्य अंतिम केवली होंगे । उनके बाद केवलज्ञानका उच्छेद हो जायगा । केवलज्ञानके साथ ही, मन:पर्यय ज्ञान, पुलाकलब्धि, परमावधि ज्ञान, क्षपक श्रेणी व उपशम श्रेणी, आहारक शरीर, जिनकल्प, और त्रिविध (परिहार विशुद्धि, सूक्ष्मसम्पराय और यथाख्यात चारित्र ये तीन ) संयम भी विच्छेद हो जायेंगे।
" तुम्हारे शिष्य जंबू चौदह पूर्वधारी होकर मोक्षमें जायेंगे उनके शिष्य शय्यभव भी द्वादशांगीके पारगामी होंग । वे पूर्वमेंसे दशवकालिक सूत्रकी रचना करेंगे । उनके शिष्य यशोभद्र सर्व पूर्वधारी होंगे और उनके शिष्य संभूतिविजय
और भद्रबाहू, भी चौदह पूर्वधारी होंगे । संभूतिविजयके शिष्य स्थूलभद्र चौदह पूर्वधर होंगे । उनके बाद आतेम चार पूर्वोका उच्छेद हो जायगा । उसके बाद महागिरि और सुह स्तिसे वज्रस्वामी तक इस तीर्थके प्रवर्तक दस पूर्वधर होंगे।"
इस तरह भविष्य कहकर महावीर स्वामी समवसरणसे बाहर निकले और हस्तिपाल राजाकी शुल्क-शालामें (करलेनेकी जगहमें ) गये ।
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