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________________ तीर्थंकर चरित-भूमिका ११ wwwi विद्युत्युक्त - बिजलीसहित शरद ऋतुके मेघ समान वर्णवाला होता है । [ २ ] हाथी - सफेद रंगवाला, प्रमाणके अनुसार ऊँचा, निरन्तर गंडस्थल से झरते हुए मदसे रमणीय, चलते हुए कैलाश पर्वतकी भ्रान्ति करानेवाला और चार दाँतवाला होता है। [ ३ ] केशरीसिंह - पीली आँखोंवाला, लम्बी जीभवाला, धवल (सफेद) केशरवाला और शूरवीरोंकी जयध्वजा के समान पूँछवाला होता है । [ 8 ] लक्ष्मी देवी – कमलके समान आँखोंवाली, कमलमें निवास करनेवाली, दिग्गजेन्द्र अपनी सूँडोंमें कलश उठा कर जिसके मस्तकपर डालते हैं ऐसी, शोभायुक्त होती है । [१] पुष्पमाला - देव वृक्षोके पुष्पोंसे गूँथी हुई और धनुष के समान लम्बी होती है। ६] चंद्रमंडळ - अपने ही [ तीर्थंकरों की माताओंको उनके ही ] मुखकी भ्रान्ति करानेवाला, आनन्दका कारण रूप और कांतिके समूह से दिशाओंको प्रकाशित कियेहुए होता है । ] सूर्य - रातमें भी दिनका भ्रम करानेवाला, सारे अंधकारका नाश करनेवाला, और विस्तृत होती हुई कान्ति वाला होता है । ७ [C] महाध्वज - - चपल कानोंसे जैसे हाथी सुशोभित होता है वैसे ही घूघरियों की पंक्तिके भारवाला और चलायमान पताकासे शोभायुक्त होता है । [९] स्वर्ण कलश - विकसित कमलोंसे इसका मुख भाग १ – शेरकी गर्दन में जो बाल होते है उन्हें केशर कहते हैं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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