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________________ २४ श्री महावीर स्वामी-चरित ४०५ वंदनाकर सुखसात पूछनेके बाद प्रश्न किया:-" पूज्यवर आपका आना कैसे हुआ ?" सिंह मुनि बोले:-" मैं भगवानके लिए औषध लेने आया हूँ।" __ रेवती प्रसन्न हुई । उसने भगवान के लिए जो कुष्मांड पाक तैयार किया था वह बहोराने लगी। सिंह मुनि बोले:-"महाभाग! प्रभुके निमित्तसे बनाये हुए इस पाककी आवश्यकता नहीं है । तुमने अपने लिए बीजोरा पाक बनाया है वह लाओ।" ___ भाग्यमती रेवतीने इसको अपना अहोभाग्य जाना और बीजोरा पाक बड़े भक्ति-भावके साथ सिंह मुनिको बोहरा दिया । इस शुद्ध दानसे रेवतीने देवायुका बंध किया । सिंह मुनि बीजोरा पाक लेकर महावीर स्वामीके पास गये और यथाविधि उन्होंने वह प्रभुके सामने रक्खा । प्रभुने उसका उपयोग किया और वे रोगमुक्त हुए। उस दिन गोशालकने तेजोलेश्या रक्खी उसे छः महीने बीते थे । प्रभुके आरोग्य हानक समाचार सुनकर सभी प्रसन्न हुए। अनुक्रमसे विहार करते हुए महावीर स्वामी पोतनपुरमें पधारे और मनोरम नामके उद्यानमें समोराजर्षि प्रसन्नचंद्रको दीक्षा सरे । पोतनपुरका राजा प्रसन्नचंद्र प्रभुको वंदना करने आया और प्रभुका उपदेश सुन, संसारको असार जान, दीक्षित हो गया । प्रभुके साथ रहकर राजर्षि प्रसन्नचंद्र सूत्रार्थके पारगामी हुए। __ एक बार विहार करते हुए प्रभु राजगृह नगरके बाहर समोसरे । प्रसन्नचंद्र मुनि थोड़ी दूरपर ध्यान करने लगे । राजा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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