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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
mmmmmmmm उनके बाद मौर्यपुत्र अपने शिष्यों के साथ महावीरके पास आये । प्रभु बोले:-" हे मौर्यपुत्र ! तुमको देवताओंके विषयमें संदेह है । मगर वह संदेह मिथ्या है । इस समवसरणमें आये हुए इन्द्रादि देव प्रत्यक्ष हैं । इनके विषयमें शंका कैसी ?" मौर्यपुत्रका भी संदेह मिट गया और उन्होंने भी अपने ३५० शिष्योंके साथ दीक्षा ले ली। ___ उनके बाद अकंपिते शिष्यों सहित प्रभुके पास आये । प्रभु बोले:-" हे अकंपित ! तुमको नारकी जीवोंके संबंध शंका है । परंतु नारकी जीव हैं। वे बहुत परवश हैं । इसलिए यहाँ नहीं आ सकते हैं और मनुष्य वहाँ जा नहीं सकते । इसलिए सामान्य मनुष्यको उनका ज्ञान नहीं हो सकता। सामान्य मनुष्य युक्तियोंसे उन्हें जान सकता है । क्षायिक ज्ञानवाला उन्हें प्रत्यक्ष देख सकता है। कोई क्षायिक ज्ञानवाला है ही नहीं
१ इनके पिताका नाम मौर्य और इनकी माताका नाम विजयदेवा था। ये मौर्य गाँवके रहनेवाले काश्यप गोत्रके ब्राह्मण थे। इनकी उम्र ८३ बरसकी थी। ये ६५ बरस गृहस्थ, २ वरस छद्मस्थ
और १६ बरस केवली रहे थे। विजयदेवा मंडिकके पिता धनदेवकी पत्नी थी; मगर विधवा हो जानेके बाद उसने मौर्य के साथ शादी कर ली थी। इससे जान पड़ता है कि उस समय ब्राह्मणोंमें भी विधवाका पुनर्लग्न करना अनुचित नहीं समझा जाता था। .. २ अकंपितके पिताका नाम देव और इनकी माताका नाम जयंती था । ये विमलपुरीके रहनेवाले गौतम गोत्रीय ब्राह्मण थे। इनकी उम्र ७८ बरसकी थी। ये ४५ बरस गृहस्थ, ९ बरस छद्मस्थ और २१ बरस केवली रहे।
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