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तीर्थंकर चरित-भूमिका
तीर्थंकर चरित-भूमिका
इस भूमिकामें उन बातोंका वर्णन दिया है जो समानरूपसे सभी तीर्थंकरोंके होती हैं । वे बातें मुख्यतया ये हैं
१-तीर्थकरोंकी माताओंके चौदह महा स्वम । २-पंच कल्याणक। ३-अतिशय ।
ये बाते भूमिका रूपमें इसलिए दी गई हैं कि, प्रत्येक तीर्थकरके चरित्रमें बार बार इन बातोंका वर्णन न देना पड़े। हरेक चरित्रमें समय बतानेके लिए आरोंका उल्लेख आयगा । इसलिए आरोंका परिचय भी इस भूमिकामें करा दिया जाता है।
आरे
समय विशेषको जैन शास्त्रोंमें आराका नाम दिया गया है । एक कालचक्र होता है । मुख्यतया इस कालचक्रके दो भेद किये गये हैं। एक है 'अवसर्पिणी' यानी उतरता और दूसरा है 'उत्सर्पिणी' यानी चढ़ता । अवसर्पिणीके छ: भेद हैं। जैसे-(१) एकान्त सुषमा ( २ ) सुषमा (३) सुषम दुःखमा (४) दुःखम सुषमा (५) दुःखमा और
* दिगंबर जैन आम्नायमें १६ स्वप्ने माने जाते हैं और श्वेतांबर जैन आम्नायमें चौदह ।
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