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________________ (त) जैनरत्नके पहलेसे ग्राहक होनेवाले सज्जन । प्रति. यतिजी महाराज | सेठ राजमलजी जयपुर श्री अनूपचंद्रनी उदयपुर ५ श्री हीरालालजी कामठी १ सेठ वेलजी लखमसी बंबई। ५ सेठ कुँवरजी आनंदनी बंबई १ सेठ नानजी लद्धा बंबई। ५ सेठ त्रिकमजी नरसी, डाह्याभाई । सेठ मूलचंदजी सोभागमलनी, सेठ वीरचन्द मेघजी थोभण वंबई ३ पूनमचंदनी ५ सा. हीरजी कानजी मणसी बंबई १ सेठ नेमीचन्द्रजी तराला सा. वीरजी लद्धा, बंबई १ सेठ मोहनचन्द्रनी दिगरस ला. शिवचरण लालजी सेठ शिवचन्द्रजी दिगरस सेठ कुंदनमलजी दारव्हा जसवंत नगर १ ३ | सेठ वीरचंद पानाचंद माटुंगा १ मंत्री श्रींवीरतत्त्व प्रकाशक मंडल शिवपुरी ३ सेठ पदमसी शिवजी बंबई १ विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञानमंदिर डॉ. पुन्सीजी हीरजी बंबई १ १ ___ आगरा २ | सेठ लद्धाभाई मणसी बंबई पं० भगवानदासजी जयपुर १ | सेठ कुँवरजी केशवजी शामनी श्री ईश्वरलालनी जयपुर १ बंबई १ श्रीपूज्यनी श्रीधरणेन्द सेठ खीमजी जेठाभाई बंबई १ सूरिजी जयपुर १ । सा. चांपसी मालसी बंबई १ or or Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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