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________________ २३ श्री पार्श्वनाथ-चरित २७३ वाले हैं। इस तरह आप हर तरहसे पूज्य हैं इसी लिए तथैव पद्माका हाथ आपको पकड़ा देनेके लिए आया हूँ। इसे ग्रहणकर हमें उपकृत कीजिए।" ___ सुवर्णबाहुने पद्माके साथ गांधर्व विवाह किया। रत्नावली और गालव ऋषिने दोनोंको आशीर्वाद दिया। उसी समय पद्मोत्तर नामक खेचरेंद्रका लड़का जो रत्नावलीका सोतेला पुत्र था वहाँ आ पहुँचा । रत्नावलीने उसे सुवर्णबाहुका हाल सुनाया। पद्मोत्तर सुनकर बड़ा प्रसन्न हुआ। वह सुवर्णबाहुके पास गया और बोला:-" हे देव ! मैं आपहीके पास जा रहा था। सद्भाग्यसे आपके यहीं दर्शन हो गये । कृपा करके आप वैताढ्य गिरिपर मेरी राजधानीमें चलिए और मुझे उपकृत कीजिए।" ___ सुवर्णबाहु अपनी सेनाके साथ वैताढ्य गिरिपर गये । पद्मा, रत्नावली आदि भी उनके साथ गई। कुछ समय वहाँ रह, दूसरी कई विद्याधर-कन्याओंसे ब्याहकर सुवर्णबाहु पीछे अपनी राजधानी पुराणपुरमें आये। ___ जब उन्हें राज्य करते कई बरस बीत गये, तब चक्र आदि चौदह रत्न प्राप्त हुए। उन्होंने छः खंड पृथ्वीको जीता और वे चक्रवर्ती बनकर राज्य करने लगे। एक बार जगन्नाथ तीर्थकरका पुराणपुरके उद्यानमें समोसरण हुआ। देवता आकाशसे विमानोंमें बैठ बैठकर आ रहे थे। सुवर्णबाहुने अपनी छतपर बैठे हुए उन विमानोंको देखा। विमान कहाँ जा रहे हैं, यह जानकर उन्हें बड़ा हर्ष हुआ। वे भी परिवार सहित समवसरणमें गये । जब वे देशना सुनकर १८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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