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निवेदन जैनोंका इतिहास बहुत बड़ा है। उसको व्यवस्थित रूपसे निकालनेकी बहुत जरूरत है । मगर इस जरूरतको पूरा करनेकी तरफ बहुत कम ध्यान दिया गया है।
हिन्दीकी बात दूर रही गुजरातीमें भी इसका कोई उद्योग किया गया हो ऐसा मालूम नहीं होता। यद्यपि गुजरातीमें बहुत जैनसाहित्य प्रकाशित हुआ है, तथापि ऐसा एक भी ग्रंथ अब तक प्रकाशित नहीं हुआ है जिससे कोई आदमी जैनोंके इतिहासको सिलसिलेवार जान सके। ____ मेरा कई बरसोंसे विचार था कि यह काम किया जाय; मगर शक्तिकी मर्यादा काममें हाथ लगानेसे रोकती रही थी। जिस विशाल ज्ञानकी, गहन अध्ययन और खोजकी एवं इनके लिए जिन आवश्यक साधनोंकी जरूरत है उन्हें अपने पास न पाकर मैं चुप रहता था । ___ आखिरकार सन १९२९ में मैंने अपनी अल्प शक्तिके अनुसार इस दिशामें काम करनेका इरादा पक्का कर लिया। ___ इस इरादेको कार्यरूपमें परिणत करनेके लिए — जैनरत्न' नामक ग्रंथ कई खंडोंमें प्रकाशित करानेकी योजना की गई। जिन्होंने जैनतत्त्वोंको आचरणमें लाकर यह सिद्ध किया है कि जैनतत्त्व एक काल्पनिक वस्तु नहीं है प्रत्युत वह जीवनको उच्च, आदरणीय, परोपकारमय और पवित्र बनानेवाला एक व्यवहारोपयोगी कीमिया है, जिन्होंने अपने जीवनसे यह प्रमाणित किया है कि, जैनतत्त्व व्यवहार
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