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________________ १५ श्री धर्मनाथ-चरित १५७ २ दूसरा भव-समाधिमरण करके दृढरथका जीव वैजयन्त नामक विमानमें देव हुआ। रत्नपुर नगरके राजा भानुकी रानी सुव्रताके गर्भ में दृढरथ ___राजाका जीव वैजयन्त विमानसे च्यवकर ३ तीसरा भव वैशाख सुदि ७ के दिन पुष्य नक्षत्रमें आया । इन्द्रादि देवाने गर्भकल्याणक मनाया । गर्भकालको पूर्णकर सुव्रता रानीके उदरसे, माघ सुदि ३ के दिन पुष्य नक्षत्रमें, वज्र लक्षण-युक्त पुत्रका जन्म हुआ। इन्द्रादि देवोंने जन्म-कल्याणक मनाया । जब प्रभु गर्भमें थे उस समय माताको धर्म करनेका दोहला हुआ था इससे उनका नाम धमनाथ रखा गया । ___ उन्होंने यौवन कालमें पाणिग्रहण किया, ५ हजार वर्ष तक राज्य किया फिर लोकान्तिक देवोंके विनती करने पर वर्षीदान दे प्रकाञ्चन उद्यानमें जा, एक हजार राजाओंके साथ माघ सुदि १३ के दिन पुष्य नक्षत्रमें दीक्षा ली । इन्द्रादि देवोंने तप कल्याणक मनाया । दूसरे दिन धर्मसिंह राजाके यहाँ प्रभुने परमान्नसे (खीरसे) पारणा किया। भगवान विहार करते हुए दो वर्ष बाद उसी उद्यानमें पधारे । उन्होंने दधिपर्ण वृक्षके नीचे ध्यान धरा । घातिया कोंका क्षय होनेसे पौष सुदि १५ के दिन पुष्य नक्षत्रमें उन्हें केवलज्ञान हुआ। इन्द्रादि देवोंने ज्ञानकल्याणक मनाया। केवलज्ञान उत्पन्न होनेपर दो वर्ष कम ढाई लाख वर्ष तक उन्होंने नाना देशोंमें विहार किया और प्राणियोंको उपदेश दिया । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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