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________________ जैन-रत्न पुत्र माँगा । देवी यह वरदान देकर चली गई कि एक जीव देवलोकसे च्यवकर तेरे घर पुत्ररूपमें जन्म लेगा। ___ समयपर राणी गर्भवती हुई । उस रातको राणीने स्वममें सिंह देखा । गर्भके प्रभावसे राणीको दया पलवानेका और अठाई उत्सव करानेका दोहद रहा । राजाने वह दोहद पूर्ण कराया। समयपर पुत्र उत्पन्न हुआ। उसका नाम पुरुषसिंह रखा गया। जब वह जवान हुआ तब राजाने उसे आठ राजकन्याएँ ब्याह दीं। ___ एक दिन कुमार उद्यानमें फिरने गया। वहाँ उसने विनयनंदन नामके युवक आचार्यको देखा । उनका उपदेश सुन उसे वैराग्य हुआ। कुमारने मातापितासे आज्ञा लेकर दीक्षा ले ली और बीस स्थानकोंमेसे कई स्थानोंकी आराधनाकर तीर्थकर गोत्र बाँधा। मरकर सिंहरथका जीव वैजयंत विमानमें महर्द्धिक देवता - हुआ । उसने तेतीस सागरोपमकी आयु भोगी। जंबूद्वीपमें विनीता (अयोध्या) नामकी नगरी मेघ नामका राजा था। उसकी राणी मंगलादेवीको चौदह ३ तीसरा भव स्वप्न सहित गर्भ रहा । सिंहरथका जीव वैजयंत विमानसे च्यवकर श्रावण सुदि २ के दिन मघा नक्षत्रमें रानीके गर्भमें आया । इन्द्रादिदेवोंने गर्भकल्याणक किया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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