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५ श्रीसुमतिनाथ स्वामी-चरित
धुसकिरीटशाणाग्रो-त्तेजितांघ्रिनखावलिः। भयवान् सुमतिस्वामी, तनोत्वभिमतानि वः ॥ मावार्थ-देवताओंके मुकटरूपी शाणके अग्रे भागके कोनोंसे जिनकी नख-पंक्ति तेजवाली हुई है ऐसे भगवान सुमतिनाथ तुम्हें वांछित फल देवें। जंबू द्वीपके पूर्व विदेहमें पुष्कलावती नामका प्रांत था। उसमें
शंखपुर नामका शहर था । वहाँ विजयसेन १पहला भव नामका राजा राज्य करता था। उसके सुदर्शना
नामकी राणी थी। उसके कोई सन्तान नहीं हुई। एक दिन किसी उत्सवमें राणी उद्यानमें गई । वहाँ शहरकी दूसरी स्त्रियाँ भी आई हुई थीं। उनमें एक सेठानी भी थी। आठ सुंदर युवतियाँ और अन्यान्य नौकरानियाँ उसके साथ थीं। उन्हें देखकर राणीको कुतूहल हुआ। उसने दर्याफ्त कराया कि, वे कौन थीं, तो मालूम हुआ कि, आठ युवतियाँ उसके दो बेटोंकी बहुएँ थीं। यह जानकर राणीको आनंद हुआ। साथ ही इस बातका दुःख भी हुआ कि उसके कोई पुत्र नहीं है। उसने राजाको जाकर अपने ममका दुःख कहा ।
राजाने राणीको अनेक तरहसे समझाया बुझाया और अमशनव्रत करके देवीकी आराधना की । देवी प्रकट हुई। राजाने
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