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तो मिलनी बहुत ही दुर्लभ है। कहीं कहीं सिफारश पहुँचानेसे मिल भी जाती है।
इस समय लिखित ग्रंथोंको पढनेवाले भी बहुत ही अल्प संख्यामें हैं। कितने ही तो लिखित पुस्तक है यह सुनकर हाथमें भी नहीं लेते । इस मुद्रणकलाने त्यागी वर्गको और गृहस्थवर्गको इतना वशकर लिया है कि वे प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थोंको पढना तक भूल गये हैं। यह कितना शोचनीय है ! ___ इस मुद्रणकलाने संसारपर उपकार भी बहुत किया है। इससे प्रायः सारा संसार पढ़ना सीखा ह । प्रत्येक व्यक्ति बढ़ियासे बढ़िया ग्रन्थ अल्प मूल्यम किसीकी भी खुशामद किये बिना सरलतासे प्राप्तकर सकता है और विना संकोच पढ़कर आत्मश्रेय कर सकता है। प्राचीन समयमें यह जरा मुश्किलसे मिलता था । कर्णोपकर्णसे शास्त्रका रहस्य सीखते थे। आज साक्षात् शास्त्र ग्रंथ हाथमें लिये और आद्योपान्त पढकर संतोष मानते हैं । __ ऐसे उपयोगी सुंदर कलाप्रधान मुद्रणयुगमें अनेक शास्त्र और चरित्रादि ग्रन्थ प्रसिद्ध हो रहे हैं।
वर्तमान दुनियाको नवीनता चाहिए । प्राचीन पद्धतिसे लिखे हुए ग्रन्थ जब नई पद्धतिसे लिखकर प्रकाशित कराये जाते हैं तब उनका बहुत आदर होता है। इसी तरह बहुत बड़े ग्रन्थकी बात थोडेमें मधुर भाषाके अंदर लिखी जाती है तो वाचकवर्ग उसको पढनेसे घाबराता नही है। प्रत्येक यह चाहता है कि थोड़ेमें ज्यादा ज्ञान मिले । बात भी सत्य है।
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