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वस्ती रूप उपकेशपट्टन नामक नगर वसाया, तिस नगरमें सवालक आदमीयांको रत्नप्रनसू. रिने श्रावक धर्ममे स्गप्या तिस समय तिनके अगरह गोत्र स्वापन करे तिनके नाम तातहम गोत्र १ बापणा गोत्र २ कर्णाट गोत्र ३ वलहरा गोत्र ४ मोराद गोत्र ५ कुलहट गोत्र ६ विरहट गोत्र ७ श्री श्रीमाल गोत्र श्रेष्टि गोत्र ए सु. चिंती गोत्र १० आश्चणाग गोत्र ११ नूरि गोत्र नटेवरा १२ ना गोत्र १३ चीचट गोत्र १५ कुंनट गोत्र १५ मि/ गोत्र १६ कनोज गोत्र १७ लघुश्रेष्टी १८ येह अगरही जैनी होनेसे परस्पर पुत्र पुत्रीका विवाह करने लगे और परस्पर खाने पीने लगे इनमेसें कितने गोत्रांवाले रजपूतथे और कितने ब्राह्मण और बनियेनी इस वास्ते जेकर जैन शास्त्रसे यह काम विरुप होता तो आचार्य महाराज श्रीरत्नप्रनसूरिजी इन सर्वको एकठे न करते. इसी रीतीसें पीने पोरवाम नसवालादि वंश थापन करे गये है, अन्य को अमचलतो नहोहै परंतु इस कालके वैश्य लोक अपने समान किसी
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