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और वैताढ्य प्रवर्तके पास लंबा कुबक अधिक ए0000 नवे हजार नत्से गुलके हिसाबसे कोस होतेहै चीन रूसादि देश सर्व जैन मतवाले नरखेमके बीचही मानतेहै यह कथन अनुयोगहारकी चूर्णि तथा भंगुल सत्तरी ग्रंथानुसारहै कित. नेक आचार्य नरतखंमका प्रमाण अन्यतरेंके योजनोंसें मानतेहै परं अनुयोगधारकी चूर्णि कर्त्ता
श्री जिनदासगणि कमाश्रमणजी तिनके मतकों सितका मत नही कहतेहै.
प्र. ७-नरत क्षेत्रमे आजके कालसे पहिला कितने तीर्थंकर हूएहै.
उ.-इस अवसप्पिणि कालमें आज पहिला चौवीस तीर्थकर हूएहै जेकर समुच्चय अतीत कालका प्रश्न पूरतेहो तब तो अनंत तीर्थंकर इस नरत खंममे होगएहै,
प्र.G-इस अवसर्पिणि कालमे इस नरतखममें चोवोस तीर्थकर हूएहै तिनके नाम कहो.
न.-प्रथम श्री शषनदेव १ श्री अजीतनाथ २ श्री संजवनाथ ३ श्री अन्निनंदननाथ
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