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गुरु स्वरूप ने
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सातमा गुरु पोपट तोते समान है. 9
तोता इहां बहुविध शास्त्र सूक्त कथादि परिज्ञान प्रागल्भ्यवान् ग्रहण करनां. तोता रूप करके रमणीय है १ क्रिया आंब कदली दामि फ लादि शुचि आहार करता है. इस वास्ते ही है. २ उपदेश वचन मधुरादि तोतेका प्रसिद्ध है ३ तैसें कितनेक गुरु वेष १ उपदेश २ सम्यक क्रिया. ३ तीनों करके संयुक्त है, श्रीजंबु श्रीवज्रस्वाम्या दिवत् इति सातमा गुरु स्वरूप भेद ||७|| आठमा गुरु काक समान है.
जैसे काक में रूप सुंदर नही है १, उपदेशजी नहो, करुया शब्द बोलनेसें २ क्रियानो अही नही है, रोगी, बूढे बलदादिकोंके प्रांख कढ लेनी, चूंच रगमनी और जानवरोंका रुधिर मांस, म लादि प्रशुचि आदारि दोनेसें ३ ऐसँही कितनेक गुरुयोंमे रूप१ उपदेश २ क्रिया ३ तीनोदी नही है, अशुद्ध प्ररूपक संयम रहित पास आदि जा नने, सर्व परतीर्थीकनी इसी जंगमे जानने ॥
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