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२१६ ढुंढक, तेरापंथी वगेरे मतोंवालोंसेंनी हम मित्रतासे विनती करते हैके, तुमन्नी जराश्न लेखोंकों बांचके बिचार करोके श्री महावीरजीकी प्रतिमा के ऊपर जो राजा वासुदेवका संवत् ए अग. नवेका लिखा हुआहै, और एक श्री महावीरजी की प्रतिमाकी पलांग ऊपर राजा विक्रमसें पहिले हो गए किसी राजेका संवत् विसका लिखा हुआहै, और इन प्रतिमाके वनवनेवाले श्रावक श्राविकांके नाम लिखे हूएहै, और दश पूर्वधारी आचार्योंके समयके आचार्योके नाम लखे हूएहै। जिनोंने इन प्रतिमाको प्रतिष्टा करी है; तो फेर तुम लोक शास्त्रांके अर्थ तो जिनप्रतिमाके अधि कारमें स्वकल्पनासें जूठे करके जिन प्रतिमाकी नबापना करतेहो, परंतु यह शिला लेख तो तु. मारेसें कदापि जूठे नही कहे जाएंगे, क्योंके इन शिला लेखोंकों सर्व यूरोपीयन अंग्रेज सर्व विधानोने सत्य करके मानेहै, इस वास्ते मानुष्य जन्म फेर पाना पुर्खनहै, और थोमे दिनकी जिं दगीहै, इस वास्ते पक्षपात बोमके तुम सच्चा धर्म
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