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न......इसका तरजुमा नीचे लिखे मुजब होवेगा.
___ "फतेह" देवतायोंका नाश करता अरहत महावीरको प्रणाम (यह गुण वाचक नामके ख रेपणेमें मेरेको बहुत शकहै, परंतु तिसका सुधा रा करनेकों में असमर्थहूं) राजा वासुदेवके संवतुके एज मे वर्ष में वर्षाऋतुके चौथे महीने में मिति ११ मीमें इस मितिमें................परिहासक (कुल) में कापोन पत्रिका (पोर्मपत्रिका) शाखा का अरय्य-रोहने (आर्यरोहने) स्थापन करी शाला (गण) मेंका अरयय देवदत (देवदत्त) ए शालाका मुख्य गणि॥ येह लेख एकल्ले देखनेसें यह सिह करतेहैके मथुरांके जैन साधुयोंने संवत् ५ से ए अगनवे तक वा इसवीसन ७३ । वा न्य से लेके सन इसवी १६६ वा १६७ के बीचमें जैनधर्माधिकारी हुदेवालोंने परस्पर एक संप क राथा, और तिनमेसें कितनेक गहोंमें मतानुचा रीयोमें विनाग पमाया, और सो नाग हरेक शाला (गण) का कितनेक तिसके अंदर नाग ह एथे. ऊपर लिखे हूए नामों वाले पुरुषांको वाचक
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