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नने. तिन सर्व ३३६ नेदांका प्रावरण करनेबाला मतिज्ञानावरण कर्मका नेदहै, जिस जीवके आवरण पतला हुआहै. तिस जीवकी बहुत बुद्धि निर्मलहै; जैसे जैसे आवरणके पतलेपणेकी ता. रतम्यताहै, तैसे तैसें जीवांमे बुद्धिकी तारतम्यताहै. यद्यपि मतिज्ञान मतिज्ञानावरणके कयोप शमसे होताहै, तोन्नी तिस क्षयोपशमके निमित्त मस्तक, शिर, विशाल मस्तकमे नेऊा, चरबी, चोकास, मांस, रुधिर, निरोग्य हृदय, दिल निरुपश्व, और मूंठ, व्राह्मो वच, घृत, दूध, शाकर, प्रमुख अहो वस्तुका खानपानादिसें अधिक अधिकतर मतिज्ञानावरणके कायोपशमके निमित्त है; और शील संतोष महा व्रतादि करणी, और पठन करानेवाला विद्यावान गुरू, और देश काल अक्षा, नत्साह, परिश्रमादि ये सर्व मतिज्ञानावरणके दायोपशम होनेके कारणहै. जैसे जैसें जी वांकों कारण मिलतेहै तैसी तैसी जीवांकी बुद्धि होतीहै. इत्यादि विचित्र प्रकारसे मतिज्ञानावररणीका नेदहै. इति मतिज्ञानावरणी १. दूसरा
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