________________
१४० जेकर बीजमें शक्तियां न मानीये तबतो गेहूंके बीजसे आब और बंबूल मनुष्य, पशु, पदो आ दिनो नत्पन्न होने चाहिये. इस वास्ते सर्व वस्तुयोंमे अपनी २ अनंत शक्तियांहै. जैसा २ निमिन मिलताहै तैसी र शक्ति वस्तुमें प्रगट होतीहै, जैसे बीज कोठिमें पमाहै तिसमें वृक्षके सर्व अ वयवोंके होनेकी शक्तियांहै, परंतु बीजके काल विना अंकुर नही हो सकताहै; कालतो वृष्टि शतुकाहै, परंतु नूमि और जलके संयोग विना अंकुर नही हो सकताहै, काल नूमि जलतो मिलेहे परंतु विना स्वन्नावके कंकर बोवेतो अंकुर नही होवेहै. बीजका स्वन्नाव १ काल २ नूमि ३ जलादितो मिलेहै, परंतु बोजमे जो तथा तथा न वन अर्थात् होनेवालो अनादि नियतिके विना बीज तैसा लंबा चौमा अंकुर निर्विघ्नसे नही दे सक्ताहै, जो निर्विघ्नपणे तथा तथा रूप कार्यको निष्पन्न करे सो नियति, और जेकर वनस्पतिके जीवोंने पूर्व जन्ममें ऐसे कर्म न करे होतेतो व. नस्पतिमे उत्पन्न न होते; जेकर बोनेवाला न होवे
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com