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दयानंदमत दया एक ईश्वर | अस्ति तन्मत पाठ साधु । १८. नंदक ।
इत्यादि इस तरे मतधारीयोंने पंच परमेटोकी जगे पांच ५ वस्तु कल्पना करी है, इस बास्ते पंच परमेष्टोके विना अन्य कोई सृष्टिका कर्ता सर्वज्ञ वीतराग ईश्वर नही है, नि:केवल लोकांको अज्ञान ब्रमसे सृष्टि कर्त्ताकि कल्पना नुत्पन्न होती है, पूर्व पद को प्रश्न करे के जेकर सर्वज्ञ वीतराग ईश्वर जगतका कर्त्ता नही है, तो यह जगत अपने आप कैसे उत्पन्न हुआ, क्योंकि हम देखतेहै क के विना कुबन्नो नत्पन्न नही होताहै, जैसें घमीयालादि वस्तु. तिसका उत्तर-हे परीक्षको! तुमको हमारा अग्निप्राय य पार्थ मालुम पमता नही है, इस वास्ते तुम कर्ता ईश्वर कहतेदो, जो इस जगतमें बना हु वस्तुहै, तिसका कर्त्ता तो हमनी मानतेहै, जैसे घट, पट, शराव, नदंचन, घमियाल, मकान, हाट, हवेलो, संकल, जंजोरादि परंतु आकाश, काल, स्वन्नाव, परमाणु, जीव इत्यादि वस्तुयां
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