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मधुसर्पि आसव लब्धि कहते है, यह साधुकों
होती है.
कुध्य बुद्धि लद्धी २० - जैसे वस्तु कोठे में पमी हुइ नाश नही होती है, ऐसेहो जो पुरुष जितना ज्ञान सीखे सो सर्व वैसेका तैसाही जन्मपर्यंत जूले नही, तिसकों कोष्टक बुद्धि लब्धि कहते है.
पयानुसारी ली २१ - एक पद सुननेसें संपूर्ण प्रकरण कह देवें, तिसकों पदानुसारी लब्धि कहते है.
बीयबुद्धि लड़ी २२ - जैसें एक बीजसें प्रनेक बीज उत्पन्न होते है, तैसेही एक वस्तुकै स्व रूपके सुननेसें जिसको अनेक प्रकारका ज्ञान होवे, सो बीजबुद्धि लब्धिहै.
तेनलेसा लघी २३ जिस साधुके तपके प्र नावसें ऐसी शक्ति उत्पन्न होंवेके जेकर क्रोध चढेतो मुखके फुंकारेसें कितनेही देशांकों बालके नस्म कर देवे, तिसकों तेजोलेश्या लब्धि कहते है
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