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१०४ थैकर नगवंत निमित्त कारणहै. विना निमित्तके अपनी आत्माके गुणरूप नपादान कारण कदेश फल नही देताहै. तोर्थंकर निमित्तनूत होवे तब नक्तिरूप नपादान कारण प्रगट होताहै टिससेंही; आत्माके सर्व गुण प्रगट होतेहै, तिनसे मोक्ष होताहै. जैसे घट होनमे मिट्टी नपादान कारनहै, परंतु विना कुलाल चक दंग चीवरादि निमित्तके कदापि घट नही होताहै, तैसेंही तीर्थंकर रूप निमित्त कारण विना आत्माकों मोक्ष नही हो. ताहै, इस वास्ते तोर्थकरकी नक्ति अवश्य करने योग्यहै,
प्र. ११२-जगतमें जीव पुन्य पाप करतेहै तिनके फलका देनेवाला परमेश्वरहै वा नही ?
न-पुन्य पापके फलका देनेवाला परमेश्वर नही है,
प्र. ११३-पुन्य पापके फलका दाता ई. श्वर मानिये तो क्या हरज है ?
न.-ईश्वर पुन्य पापका फल देवे तब तो ईश्वरकी ईश्वरताको कलंक लगता है.
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