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सिद्ध होवेंगे, तबतो ईश्वर अज्ञानी सिह होवेगा. जब अज्ञानी सिः६ हुआ तबतो तिसके रचे शा. स्वनी जूठे और निष्फल सिह होवेगे, ऐसे जब सिद्ध होगा तबतो माता, बहिन, बेटीके गमन करनेको शंका नही रहेगी, जिसके मनमें जो आवे सो पाप करेगा, क्योंके सर्व कुछ करने कराने फल लोगने नुक्ताने वाला सर्व ईश्वरही है, ऐस माननेसे तो जगतमे नास्तिक मत खमा करना सिद्ध होवेगा.
प्र. १०७-जीवकों पुनर्जन्म किस कारणसे करणा पमताहै ?
न.-जीवहिंसा, १ जूठ बोलना, १ चौरी करनी, ३ मैथुन, स्त्रीसें नोगकरना, ४ परिग्रह रखना, ५ क्रोध १ मान माया ३ लोन एवं ए राग १० द्वेष ११ कलह १२ अन्यारव्यान अ. र्थात् किसीकों कलंक देना १३ पैशुन १४ प. रकी निंदा करनी १५ रति अरति १६ माया मृषा १७ मिथ्यादर्शन शल्ल, अर्थात् कुदेव, कुगुरु, कु. धर्म, इन तीनोको सुदेव, सुगुरु, सुधर्म करके
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