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तरें सदा मोद जानेसें जीवनी खूटते नहींहै. इस लोकमें निगोद जीवांके असंख्य शरोरहै, एकैक शरीरमें अनंत अनंत जीवहै; एक शरीरमें जितने अनंत अनंत जीवहै, तिनमेंसे अनंतमे नाग प्रमाण जीवअतीत कालमें मोक्षपद पायेहै, और तिनमेंसे अनंतमें नाग प्रमाण अनंत जीव अनागत कालमें मोद पद पावेंगे, इस वास्ते मोद मार्ग बंद नही होवेगा.
प्र. १०३-आत्मा अमरहैके नाशवंतहै ?
न-आत्मा सदा अविनाशी है, सर्वथा नाशवंत नहीं है।
प्र. १०४-आत्मा अमर है, अविनाशी है, इस कथनमें क्या प्रमाण है ?
उ.-जिस वस्तुको नत्पत्ति होतीहै, सो नाशवंत होताहै, परंतु आत्माकी नुत्पत्ति नही हुश्है, क्योंकि जिस वस्तुकी नत्पत्ति होतीहैं तिसका नपादान अर्थात् जिसकी आत्मा बन जावे जैसें घमेका उपादान मिंट्टीका पिंम है, सो नपादान कारण को अरूपी ज्ञानवंत वस्तु होनी
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