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जैन-धर्म
स्वर्गीय ला० शिखर चन्द्र जी, कचौरा
जन्म सं० १६२८
स्वर्गवास सं० १६६६
आपने मृत्यु समय १०००) का दान किया था, उसमें से आपके सुयोग्य पुत्र श्रीमान ला० मुरलीधर जी, दरबारीलाल जी ने में २००१ इस पुस्तक की १५०० कापियां धर्मप्रचारार्थ बिना मूल्य वितरण की हैं ।
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