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स्वर्गीय श्री. लाला शिखरचन्द्र जी !
(इस पुस्तक के प्रकाशन का अधिकांश श्रेय श्रीमान् लाला शिखरचन्दजी को है । उनके जीवन का संक्षिप्त परिचय नीचे दिया जाता है)
आपका जन्म भदावर प्रांत के अन्तर्गत कचौरा ग्राम में सं० १९२८ माघ कृष्णा ११ को हुआ था ( यह ग्राम आगरा, इटावा सड़क पर यमुना किनारे बसा हुआ है। किसी समय यह एक सम्पन्न स्थान था) आप जैनियों की लमेचू जाति के एक रत्न थे। आपके पिता स्वर्गीय लाला प्यारेलाल जी एक धर्मनिष्ठ, प्रतिष्ठित एवं कर्त्तव्यपरायण कार्यकुशल व्यापारी थे। तत्कालीन महाराजाधिराज श्री महेन्द्रसिंहजूदेव सी० आई० ई० भदावर नरेश आपका बहुत मान करते थे। आप अपने पीछे
आठ वर्षीय अपनी इकलौती संतान ला० शिखरचन्द्रजी ( चरित्र नायक) को छोड़कर युवावस्था में ही स्वर्गवासी हो गए थे, अतएव ला• शिखरचन्द्रजी की शिक्षा दीक्षा किसी विद्यालय में न होकर घर पर ही आपकी कार्यकुशल और विदुषी माता की देखरेख में हुई। आप प्रारम्भ से ही पिता के अनुरूप सदाचारी
और धर्मनिष्ठ थे। आपको धार्मिक ग्रन्थों के स्वाध्याय का बड़ा प्रेम था । ज्यों २ आपकी अवस्था बढ़ती गई, आप अपने पिता जी के व्यापार को शनैः २ संभालने लगे। उस समय सब यही कहते थे कि यह एक होनहार बालक है। १२ वर्ष की अवस्था
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