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बंधपाठ शानामादिक उपकारमेनीसरेगोरक्षामा दिदेशोन्नतीका में औरभी जिससमय जिसपालीकोनि सपदार्थकीप्रवश्यकताहोउसीसमय उसीप्राणीको। वोही वस्तु दानदेनापरमदानहै प्रत्यहव्याख्यानब हुन बदगया बुद्धिमान थोड़ेहीमेय हुन विचारकरलें| गि अवपरमेश्वरसेपहीप्रार्थनाहैकिहेसत्यस्वरूपन संसारसे प्रसत्यप्रोरपावंड़कानाशंकर पोरभारत सन्तानको ऐसीसुबुद्भिदेकि जिससे यहदेशदुर्दशा को देखकर सुदशाका बिचारकरके उन्ननिकोपाप्नहीं
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इनि. .
प्रो३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः
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