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________________ संदेहहैमाबापकीमावरुधन्वालानेकासन्द वसन्त नरहजानेकासन्देहहैबदकारदोकरगौवमहल्लेकीस्त्रि योको विगाड़देनेकासन्देहैनसलकमटोजाने कासन्देह सिननारायणकीकथासुननेरकालेमेंधौलेहोजाने | का सन्देह हैरानदिमघरमै लडाईरखनेका पोरवोहन सन्देहहैजिनकोसबजाननेलिस्पनाकहनानोमनाहीचानक (प्रश्न)भाईमुनोभीहोगाननोसबठीकतुमनेकही धोरया हमोहमभीजाननेहैं कि ईश्वरकी गनीकोईभीनहींजान सकताउसकीगनीनोपर्जुनकोभीमालमनहीं हुईचीजो पाठपहरभगवानकारथ हांकनाथापरन्तु इननाहेकि आजकली कालमेंदानपुन्यऐसे कोईनहीं करनाभला इनना नोहैकि ग्रहमादिकडरसैयारपेसेदाथसेछोडही दिनाहै पापजानतेपुन्यकेप्रनापसेउसकाभीकल्याण है| बहानेसेहीलोगपुन्यदानकले हैं (उत्तर)हमपुन्यदानकरनेकोपुरानहींकहतेपरन्द्र एसेधोकेसैपुन्य करनेवालेचिोरकरवाने वाले दोनाही नर्क गामीहोते हैं दानपात्रकपात्रकाविचारकरकेदेना ओरलनासबकोउचिनदेएकनोरानउनकोदेनाचाहिये जोबिहानदेशक पकाक धीरधर्मसुधारमें अपना समयखर्चकरनेहेंजोसत्यवादीबोरसबकाकल्याण करनेचाटने वाले बामणगुणयुक्तपुरुषहदुसरेविया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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