SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ___१७ गगालीमवर्यकै पुर्य कामध्यम चौबीसबर्षकीस्त्री और अड़तालीसवर्षकपुरुर्व और कन्याका विवाह उत्तमहै जिसदेशमें इसीप्रकारबिगहकी विधिश्रेष्ट औरत्रलचर्य विद्याभ्यास अधिक होताहैवाल्यावस्या और अयोग्योंकाबिवाल होताहैवोहदेशदुःखमेंडून जाताहैकमोकिनसचर्यवियाके ग्रहयापूर्बकबिवाही किसुधारहीसेमब यानांकासुधास्त्रारबिगड़नेसेबिगा ड होजाताहै। प्रश्न) अष्टवर्याभवगौरीनववर्याचरोहणी दशवर्याभवेत्कन्यानत उर्घरजस्वला' मानाचैवपिनानस्याज्यष्टोधानानथेवच त्रयस्लेनरकंयान्निष्टाकन्यारजस्वलार अर्थ)यदलोकपाराशरीचारशीवोध लिवाहै अर्थइनकायेदेवकन्या कीनाठवेंबर्ष गौरीनवौर्य शहीदशवें वर्षकन्यामशादोजानीहादशवर्य विवारनकरकेस्जखलाकन्याकोमाता पिता ओउस का बड़ाभाईयेतीनदेखकेनरकमैगिरतेहैं (उत्तर) बलोवाच एकक्षणामवेगोरीहिसणेयन्तुरोोहसी त्रिक्षणासाभवेत्कन्या तारजस्वलार मातापितातथाभ्रातामानुलोभगिनीखका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy