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________________ (२३) दिस्यनेसे यही जानाजाना है कि उनके कान नकएसी प्रदाधुन्दी की कुछखबर नहीं पहुंची हमको साहै किरान अधिकारी अब ज़रूर इस ग़दरकी खवर सरकारको करके प्रजाको इन लुटेरों के हाथ से बचावंगेदखोइनन्योतिषियोंकभरोसे यहाँके राजपाटनर होगये जबकिसी शत्रुने हमारे देश के राजामापर चढाईकी उसी समयज्योतिषियोंने पत्राउथलपथन कर राजासेकहदिया कि महाराज आज अमुक लग्नहै जोतुमन्माजशत्रुकेसन्मुख युड्को गयेतो तुम्हारी आवश्य मेव हार होगी परसों पोने पढ़ाई घडीदिनचदे ऐसावेष्टलग्न साकरपड़ेगा कियह शत्रु प्रापसे जाप धूदके बादन के नुल्य क्षय हो जावेगाजोहैमोकरकरके बस राजासादिव लग्न किभरोसे मग्नरहै दूसरोने नलवार पकडलान पादिमबइखट्टेकरदियेजोनयी जीने अपनेमन मियहसिद्धान्त बिचारा किजोरानाकोयुडकीस मनी दोनो राजाजीकेसाथ युद्ध समय हमको भी जाना होण सचकहा है कि पाप गलत पांडेयन मानभीपाले इन लोगोनें देशमें बड़ीबड़ीहानी पोहंचाई और पोहंचारहे हैं गांवमेजहां किसी - - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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