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________________ (२२) - - - वियभीजानने भागों दिन धोले क्या अन्धेर मचारकवाहै कोईरम्माल नालिबमतलूबकीश कल निकाल कर अपना मतलबघडलेते हैं कोई निलया राजा बन कर त्रिलोकी का हाल नेल में ही देखना कहकरम की औख बचाकरजेष्टके दोपहरमें स्त्रियों के हाथमें छल्ला अंगूठीनकनहीं छोड़ने कोई डकौतसवामहरदिनचत्तकसरस्वती का बाक्यसिद्धबन कर घरामें कपड़ातक नहीं छो डनाकोईअड़पड़पोपोरंगास्वामीरंगास्वामीकह कर और एक पट्टीपरलाल काले रंगका हाथ का पंजालिया करफिरस्त्रियों के हाथ पकड़मच्छ रिखाकाकरेवाबता ओरगड़गड़बड़बड़करघरों में बरनन भाडा नहीं छोड़तेजैसेकोई निर्बुद्धिवा लककी गुड़कीरली दिखाकरयाकानकाटनेका डर दिखाका रोचक पौरभयानक वानेसुना कर धूर्त बालकका गहना उतारलेजानेहैं इसीप्रकार यहथूनीनन्ददिनधौलेवालक समान निर्बुद्धिस्त्री ओरपुरुषों की बुद्धिपरकपट धूल डालरात दिन लूटते रहने हमनहीं जानते कि हमारी सरकार नाइन ठगोंकेवास्नेकोई दंडएकोनहींजारीकि या हमको अपने गवर्नमेंट कीन्यायनीतीकीबोर - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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