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________________ ९१६ ) मठे जोनी जी बनाते हैं उसको जन्म पत्रके बदले |शोक पत्र कहना उचित है क्योंकि उसमें बहुधाय ही जोतषी जी पूजा पाठ अनुष्ठान करके माल उड़ाने का पहले ही ढंग रख छोड़ते हैं कहीं लिख दिया कि यह हाथी की सवारी करेगा कहीं लिखा कि इमकाछ साल अमुक ग्रह आवेगा और प्राण हरण करले गा इत्यादिक २ ऐसे भयानक और रोचक समाचार डालते हैं कि माता पिता का सन्तान के पैदा होनेकासा रा आनन्द हर लेते हैं जब छटे साल का आरंभ होता है तबते। इनके हृदय बड़े ही दुखी होने फिर जोनघी जी या उसके भाई बन्धु उस बिचारे के घर परजप -अनुष्ठान का पोना फेरते हैं हमरोज़ अपनी और से दिखते हैं कि जहां कोई बीमार पड़ा और इन जोखि यांने जन्मपत्र दिखाया अपना संवत् ३८ का पत्र संब तू ४० में देग्व कुछ मुंह ही मुहमें मीन मेघ कुंभबुड़ बुड़ा क: और छः बारा और तीन पन्द्राह कहकहा कर कह दिया कि इसको तो प्रारवें सूर्य या चन्द्रमा हैं या यह कह बैटे कि इसकी मरे हुये पितरों की खोड्याऊ परी काया या अमुक देवी देवकी क्रूरता है बस बैद्य की औषधी कदापि नहीं देने देने हजारों मनुष्यदेवी धामड़ी के भगेम में महा कष्ट भोगते हैं हमनेहींस Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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