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________________ - नरखूखा मनुष्य काजन्म होना है और हमने ज्योनियि| यों कोदेखाहै कि वह कमसे कम प्रदाईघड़ीकामु इन लगाया करने हैं इसने समय में नजाने कितनम नुष्यका जन्म होना होगा किर उनमेंसे नमालमकिन निनो उसी समयमरनाते हैं कितने कछ दिन के पीछे कितने प्रबरोगी होंगे कितने आनन्द करने फिरने होंगे किनने ठग कितने धार्मिक साहूकार किनने कंगाल | और मूर्व बहन बुद्दिमान होंगे प्रश्न) एकही समय में दोकाजन्म नहीं होसन्ना यह बहुन बारीक हिसाबहै तुम्हारी मोटी बुद्धिमेंएक समय दीखनाहै इसमें दृष्टानहैजैसे कोई सौपनेउपर नीचे नह बांधकर धरदेशोर फिर ऊपरसे उसनहमेंसु ई मारेनोऐसाजान पड़ेगा कि सारेपनों में एक हीसाथ सुई कैदगई परन्तु बालवमें कलसूक्ष्मसमयमेंएक पत्र सि दूसरे पत्रके छेदने में अन्नरहुवाहै। (उत्तर) यहमीनुमकोभ्रमहैकिएक समय में दोका म एक साथ नहीं होमकते देखो दोनों नेत्र एकसाथम बिकते हैं इनमें कितने समयमा अन्नर बताओगेजवण ण लोग गान करते हैं नबमृदंग मरचंग वीणां मजीरा आदिसान औरगवीश्वरकाएकसाथएनाहीसमय मेंना लपड़ाकरनाहैजोननकभी मिन्न भिन्न होजावेतोबा - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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