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________________ (१२) और छापने से देश में बड़ी हानी होती है कोकि कोई पोपउन्हें देख पढ़ कर लोगों को धोका देता फिरेगा और जो किसी को परीक्षा करना हो मुझसे देख सुन लेपर में उससे ऐसी बान बताउंगा जोज्योनिय पेशान हो और निसके ऐसे मंठे ज्योनिय फ़लाने का आगे कोभी हमको सदेह नहो(प्रन) या ग्रहभी ठहैं उत्तर) हम सिनारे और नक्षत्रों के होने से इनकार नहींकरते परतु उनका संबन्धमनुष्यों से इसप्रकार नहीं है जैसे आजकल पत्रा देख करस्वाथी लोग राह केनू मंगल बुध भादिकी करुरना मनुष्यों पर बनला देने हैं हमको बड़ा आश्चर्य है कि करोड़ों सिनारे में पांचयासान ी की क्यों करुरदृष्टी मनुष्यों परहोतीहै औरबहभी, मनुष्यों दीपर घोड़े हाथी भादि देह धारियोपरक भी कोई नहीं बनलाना और मनुष्यों में भी सिरफद्धि न्दुओं पर और देखो हजारों मुसाफिर प्रति दिनरेल परसवार होकर पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण को जाते हैं| उनको दशा शूलजोगती सादिकभी अमुभन हीं होने बलके यह आनन्दपूर्वक अपने ठिकाने पर पहुंच जाते हैं उनमेंसे कोईलग्न विचारकर . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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