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इस पुस्तककी अावश्यकता सम्बन्धी या इसमें रहो हुई वास्तविकताके सम्बन्धमें मुझे कुच्छ भी लिखनेकी आव. श्यकता इसलिये मालूम नहीं हुई है कि पुस्तिका ही स्वयं आवश्यकता और वास्तविकता बतला दे सकती है।
अन्तमें इस पुस्तकको रचनामें मुझे ब्रह्मचारी चक्रधरजी रचित श्री बदरीनाथ यात्रा और धी महाबीरप्रसाद द्विवेदी चित 'श्री बदरी-केदारकी झांकी' नामकी पुस्तकसे सहायता मिली है एतदर्थ दोनों लेखक महाशयोंका आभार मानता हूं।
--प्रियंकरविजय
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