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हिमालय दिग्दर्शन
राजाओं और समाजकी तरफसे बहुतसे क्षेत्र बने हुवे है। निसमें बाबा कालीकमलीवालेका और पंजाब-सिंध क्षेत्र बड़ा हैं। बाबा कालीकमलीवालेके तरफसे साधु-संन्यासिओंकों उनकी इच्छानुसार दाल, भात, रोटी आदि सिद्धान्नका मोजन दिया जाता है । सीधा चाहनेवालोंको भण्डारसे सदाव्रत मिलता है। इस धार्मिक संस्थाकी ओरसे एक अनाथालय और आयुर्वेदिक औषधालय खुला हुआ है । आयुर्वेद विद्यालय और संस्कृत पाठशाला भी स्थापित है। उत्तराखण्डके यात्रियोंको दो प्रकारकी औषधियां बिना मूल्य दी जाती है, उनमें एक जलविकारको दूर करती है और दुसरी अन्नको पचाकर मलावरोध तथा दस्तके विकारको नष्ट करती है । उत्तराखण्डकी यात्रामें कालीकमलीवालेकी ओरसे बहुत सी जगह धर्मशालाएं और औषधालय बने हुए है, इतना ही नहीं सदाव्रत भी खोले हुए है। रास्तेमें प्याऊओंका भी यात्राके टाइम ठीक बन्दोबस्त रहता है । अतः उत्तराखण्डकी यात्रा जो कठिन हो गई थी वह आज बाबा कालीकमलीवालेके शुभ प्रयत्नसे वे कठिनाइयां दूर हो चूकी है । साधु-संन्यासी और यात्रियोंकों चाहिये कि उत्तराखण्डकी यात्राके प्रयाणपूर्व इस क्षेत्रकी मुलाकात लेकर प्रयाण करे । यहां भरत वाचनालय और भरत मंदिर है इस मंदिर की बिना इजाजत यहां कोई किसी भी प्रकार से स्थान नहीं बना सकता है; याने यहां का सर्वे सर्वा मरतमंदिर है। यह मंदिर असलमें जैनों का था मगर किसी जमानेमें इसपर बौद्धोंका साम्राज्य रहा और इस वक्त वैष्णव अधिकारमें है। इस मंदिरके. शिखरका माग बौद्धशैलीमें है, और नीचेका भाग जैनत्यसे परिपूर्ण है।
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