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हिमालय दिगदर्शन
शाम
" शाम
व्यासघाट ४ धर्मशाला ७ सुबह
देवप्रयाग खाडा १० धर्मशाला बरुड्या १० चट्टी क्यारी ७ , टिहरी ६ धर्मशाला
सिराइ ५॥ चट्टी शाम
भल्डियाना ६ धर्मशाला १३ सुबह
नगूण १० चट्टी
धरासु ५ धर्मशाला १४ सुबह
बरमखाला ९ चट्टी , शाम
सिलक्यारी ५ धर्मशाला १५ सुबह १९ गंगनानी १० , ब्रह्माण्ड (हरकीपैड़ी) कुशावर्त, बिल्वकेदार, नील पर्वत तथा कनखल ये पांच प्रधान तीर्थ हैं।
ब्रह्मकुण्ड (हरकीपड़ी)-इस कुण्ड मे एक तरफसे मझाकी धार आती है और दूसरी तरफ निकल जाती है । कुण्ड में कहीं भी जल कमरसे अधिक गहरा नहीं है । इस कुण्डमें विष्णु चरण पादुका, मनसा देवीका मन्दिर तथा राजा मानसिंहकी छत्री है । हमेशा इस स्थानपर रात-दिन मनुष्यों की भीड़ लगी रहती है । सायंकाल इस स्थानकी आरती पदी सुन्दर मालूम होती है। कुंभ मेले के समय सी बह माधुओंका स्ान होता है।
यहांसे सत्यनारायण जाते समय भीमगोग नामसको गायें सब रेलवे पुलके नीचे स्थान है । यहाँ एक मन्दिर के चुतस्के भामे
कुम है। कुण्डमें पहाड़ी सोतेका पानी आता है। लोगोंका कहना है Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com