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________________ पवन स्वरोदय । [३८] राज राव उमराव नर, लडन खेत में जाय । पूंछ जिनके नाम ले, को जीते रन मांय ।।१०५॥ पहल नाम ले जीत कहु, चहते सुर को जान । नाम पाछले हार है, शून्य दिशामें मान ॥१०६॥ कोई पूछे युद्धको, होय नहीं की बात । जल सूरज सुर युद्ध होय, पृथ्वी तत्त्व कुशलात ॥१०७॥ ऊने अक्षर सूर्य सुर, पूछे जीत बखान । पूरा अक्षर चंद्र सुर, निहचै जीते मान ॥१०८।। श्वासा नीची चलत में, प्रश्न करे जो आय । जातहि जीते शत्रुको, मोतिदास सतभाय ॥१०९॥ ऊरध श्वासा चलत में, पूछत हार बखान । मोतिदास बासों कहो, युद्ध करन मत जान ॥११०।। कोई बात को प्रश्न कर, चलते सुर में आय । ताको कारज सुफल कहु, अफल शून्य सुर पाय ॥१११॥ नृप गुणज्ञ धनवंत पे, पातसाह पै जाय । ऊने अक्षर नामके, भेंट मूर्य सुर जाय ।।११२॥ सूरज सुर में तीन डग, आगे दहिनो पाय । तो सुखसंपत बहु मिले, मोतिदास सतभाय ॥११३।। पूरे अक्षर नाम के, भेंट चंद्र सुर माँह । आगे डेरी चार डग, सुख संपत फल पाह ॥११४॥ बैठ सभा में वाद कर, वादी दहिनो राख । ___ वाद जीत हारे नहीं, मोतिदास सतभाष ॥११५॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034841
Book TitleGyan Swaroday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKabir Sadguru
PublisherKabir Dharmvardhak Karyalay
Publication Year1949
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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