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पवन स्वरोदय ।
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राज राव उमराव नर, लडन खेत में जाय । पूंछ जिनके नाम ले, को जीते रन मांय ।।१०५॥ पहल नाम ले जीत कहु, चहते सुर को जान । नाम पाछले हार है, शून्य दिशामें मान ॥१०६॥ कोई पूछे युद्धको, होय नहीं की बात । जल सूरज सुर युद्ध होय, पृथ्वी तत्त्व कुशलात ॥१०७॥ ऊने अक्षर सूर्य सुर, पूछे जीत बखान । पूरा अक्षर चंद्र सुर, निहचै जीते मान ॥१०८।। श्वासा नीची चलत में, प्रश्न करे जो आय । जातहि जीते शत्रुको, मोतिदास सतभाय ॥१०९॥ ऊरध श्वासा चलत में, पूछत हार बखान । मोतिदास बासों कहो, युद्ध करन मत जान ॥११०।। कोई बात को प्रश्न कर, चलते सुर में आय । ताको कारज सुफल कहु, अफल शून्य सुर पाय ॥१११॥ नृप गुणज्ञ धनवंत पे, पातसाह पै जाय । ऊने अक्षर नामके, भेंट मूर्य सुर जाय ।।११२॥ सूरज सुर में तीन डग, आगे दहिनो पाय । तो सुखसंपत बहु मिले, मोतिदास सतभाय ॥११३।। पूरे अक्षर नाम के, भेंट चंद्र सुर माँह । आगे डेरी चार डग, सुख संपत फल पाह ॥११४॥
बैठ सभा में वाद कर, वादी दहिनो राख । ___ वाद जीत हारे नहीं, मोतिदास सतभाष ॥११५॥
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