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व्यक्ति सुखी, समृद्ध, सुभागी और शांतिप्रद जीवन का भोक्ता
बन सकता 1
सद्गुरु कबीर धर्मदास साहेब के संवादरूप में यह चर्चा निःसंदेह बहु मनोगम्य, सरल, सुबोध रूप से की गई है । सद्गुरु के शब्दों में ही उसकी सर्वोत्तमता को श्रवण करिये -
सब जोगन को जोग है, सब ज्ञानन को ज्ञान । सर्व सिद्ध को सिद्ध है, तत्त्व स्वरन को ध्यान ॥ और उसकी अमोघता को सुनिए,
' धरनि टरे गिरिवर टरे, ध्रुव टरे सुन मीत । ज्ञान स्वरोदय ना टरे, कहैं कबीर जग जीत || इस दिव्य साधना का सफल परिणाम देखिए, ' ज्ञान स्वरोदय सार है, सतगुरु कहि समुझाय । जो जन ज्ञानी चित धरे, ब्रह्म रूप को पाय || अतएव स्वरोदय - विज्ञान के समान दिव्य, निर्मल, सात्विक और लोकोपकारक दूसरा कोई सरल, सुगम साधना-मार्ग नहीं है । थोडे ही प्रयत्न से अपने लिये और थोडा विशेष परिश्रम करने पर औरों के लिए भी यह अति उपयोगी साधन-साथी हो जाता है ।
संत-मार्ग के सर्वश्रेष्ठ पथिक और संत-साहित्य के सर्वोत्तम निर्माता, परमतत्त्व के दिव्य चातक वंदनीय धनी धर्मदास साहेब की निर्मल तीव्र तत्त्वजिज्ञासा के कारण ही अनेक अनूठे तात्विक ज्ञातव्य गूढ रहस्यमय विषयों की प्रश्नोत्तर - रत्नमाला से ही संतसाहित्य देदीप्यमान हो रहा है । इस संकलन में जो २ ग्रंथरल
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