________________ 21 विषसे विषम बिबिसाऊ विष रसके / पंथको मुकाम कछु बापको न गाम यह जैबो निज धाम तातें कीजे काम यशके / खान सुलतान उमराव राव राना आन किसन अजान जान कोउ न रही शके / सांझ : बिहान चल्यो जात है जिहान तातें हमहूं निदान महिमान दिन दसके // 20 // जीवन जरासा दुख जनम जरासा ता डरहे खरासा काल शिरपैं खरासा है। कोऊ बिरलासा जोपैं जीवे द्वै पचासा अंत बन बीच बासा यह बातका खुलासा है। संध्याकासा बान करिवरेकासा कान चल दलकासा पान चपलासा उजासा है। ऐसासा रहासा ता किसन अनंत आसा पानीमें पतासा तैसा तनका तमासा है // 30 // जानी भूखा प्यासा, जान दीजें न निरासा कीजें सबका दिलासा सब जीव अपनासाहै / खानपान खासा कहा पहिरे भलासा तउ / लोभ अधिकासा एती प्रानीको पिपासाहै। दगाफासा पासा कीजें वासा अरुधर काशा आवे देखी हासा छिन तोला छिन मासाह। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com